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Putrada Ekadashi Vrat Katha: भविष्योत्तर पुराणमें भगवान् श्रीकृष्ण तथा महाराज युधिष्ठिर के संवाद में "पुत्रदा एकादशी" के महात्म्य का वर्णन मिलता है ।
महाराज युधिष्टिर ने पुछा, 'हे श्रीकृष्ण ! कृपा करके मुझे पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का वर्णन करे । उस व्रत की विधि क्या है ? तथा कौन से देवताकी पूजा की जाती है ?'
भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा, "जगत कल्याण के लिए इस एकादशी का मैं वर्णन करूँगा । अन्य एकादशी की तरह ही इस एकादशी को व्रत करे । इसे पुत्रदा एकादशी ( putrada ekadashi ) कहते है । सब पापों का हरण करनेवाली यह सर्वोत्तम तिथि है ।
कामना तथा सिद्धी को पूर्ण करनेवाले भगवान् इस तिथिके अधिदेवता है । पूरे त्रिलोकमें यह सबसे उत्तम तिथि है ।'
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
एक दिन घोड़े पर सवार होकर महाराज सुकेतुमान गहरे वन में चले गये । पुरोहित और दूसरे लोगों को इसकी कल्पना भी नही थी । पशु-पक्षियों से भरे हुए इस गहरे वन में महाराज भ्रमण कर रहे थे । दोपहर होते ही, महाराज को भूख और प्यास लगी ।जल की तलाश में महाराज इधर-उधर घूम रहे थे । पूर्वजन्म के पुण्य से उन्हे एक जलाशय दिखाई दिया। उस जलाशय के पास ही एक मुनि का आश्रम था ! अनेक शुभ शकुन होने लगे, उनकी बाँयी आँख और बायाँ हाथ फडकने लगा ।
शुभ घटना की आशा में राजा आश्रम में गये । घोडे से उरकर राजा ने सभी मुनियों को प्रणाम किया, तब उन मुनियों ने कहा, "हे राजन ! हम आप पर प्रसन्न है ।"
राजा ने कहा, "हे मुनिगण ! आप कौन है ? आपके नाम क्या है? आप यहाँपर किस उद्देश्यसे एकत्रित हुए है ? कृपया हमें सत्य बताईये।"
मुनि ने कहा, "राजन ! हम विश्वदेव है । आजसे आनेवाली पाँचवी तिथिसे माघ मास प्रारंभ होगा । आज 'पुत्रदा एकादशी' है । जो कोई भी यह एकादशी करता है उसे पुत्रप्राप्ति अवश्य होती है ।"
राजा ने कहा, "विश्वदेवगण ! अगर आप मुझपर प्रसन्न है तो मुझे कृपया पुत्र प्राप्ति हो !"
मुनि ने कहा, "राजन ! आज पुत्रदा एकादशी है । आज आप इसका पालन करे, भगवान केशव के प्रसाद रूप आपको पुत्र की प्राप्ति होगी।"
भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा, "हे युधिष्ठिर ! इस प्रकार मुनियों के कहनेपर राजा ने एकादशी व्रत किया और द्वादशी को व्रत संपूर्ण करके (पारण करके ) मुनियों का आशिरवाद लेकर राजा वापस आया ।"
उसके पश्चात् राणी गर्भवती हुई और एकादशी के पुण्य से राजा को तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई । जिसने अपने उत्तम गुणों से अपने पिता को संतोष दिया, वह उत्तम प्रजा पालक था ।
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“जो इस putrada ekadashi vrat katha की महिमा पढेगा, सुनेगा या कहेगा उसे अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होगी ।"
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